Saturday, March 15, 2008

the great translator photo


Ferdinand_de_Saussure





John Dryden






Ignacy Krasic








Roger-bacon-statue







St Jerome










Samuel johns










Luther




Friedrich_Daniel_Ernst_Schleiermacher








Johann_Gottfried_Herder










CiceroBust










Wednesday, March 12, 2008

Abrivation In Machine Translation

1 AT Adequate Translation

2 HAMT Human Aided machine Translation

3 HT Human Translation

4 MAHT Machine Aided Human Translation

5 MT Machine Translation

6 RL Receptor Language

7 SL Source Language

8 SLT Source Language Text

9 TL Target Language

10 TLT Target Language Text

11 A Adjective

12 ALO Allomorph

13 ALPAC Automatic Language Processing Advisory Committee

14 ART Article

15 ATN Augmented Translation

16 CAT Category

17 CEC Commission Of European Communities

18 CETA Centre d Etudes pour la tradition Automatipue

19 CLS Conditional Limitique Semantics

20 COP Copular

21 CPU Central Processing Unit

22 CSIR Common Sense In Ference Rule

23 Det Determiner

24 FS Function Syntactique

25 GB Government and Binding

26 GETA Group d Etudes Pour la Traducation automatique

27 GN Group nominal

28 GOV Governor

29 Indobj Indirect Object

30 INST Instrument

31 IR Inter Mediate ( or Interface ) Representation

32 LDB Lexical Database

33 LDCS Lexical Data Control System.

34 LHS Left hand side

35 LRC Linguistic research Centre

36 LS Limited Semantics

37 LSP Language For Special purposes

38 MAT Machine Aided Translation

39 N Noun

40 NP Noun phrase

41 NBR Number

42 OCR Optical Character Recognition

43 PAT Patient

44 PHVB Phrase Verbal (VP)

45 SP Spell Checking

46 GC Grammar Cheeking

47 CR Character Recognition

48 OCR Optical Character Recognition

49 WK World knowledge

50 GC Grammar Categories

51 CF Contextual Features

52 FAGPMS Fully Automatic General Purpose Machine Translation System

53 DMTS Direct Machine Translation System

54 AI Artificial Intelligence

55 TGG Transformational Generative Grammar

56 CG Case Grammar

56 PG Paninian Grammar

57 MHRD Ministry of Human Resource Development

58 NL Natural Language

59 NLI Natural Language Interface

60 ACL Association of Computational Linguistics

61 FOL First Order Logic

62 TMS Terminology Management System

63 EBMT Example based Machine Translation

64 HTML Hypertext Mark-up Language

65 DBCS Double byte Character Set

67 MI Mutual Information

68 RTF Rich Text Format

69 TM Translation Memory

70 TMX Translation Memory Exchange

71 XML Extensible Mark-up Language

72 MA Morphological Analyser Synthesis

73 MS Morphological Synthesis

74 BD Bilingual Dictionary

75 CT Computational Techniques

76 GTA General Translation Approach

78 LT Linguistic Techniques

79 PSG Phrase Structure Grammar

80 SF Semantic Features

81 ALA Allomorphic Lexical Analysis

82 AE Application Envirment

83 HL High Level

84 LL Low Level

85 MG Morphological Generation

86 ST Structural Transfer

87 TXT Text sentence

89 CS Complex sentence

90 S Sentence

91 VP Verb phrase

92 PREV Preverbal Field

93 VG Verbal phrase

94 POST Post verbal Field

95 CNG Complex Noun group

96 RELC Relative Clause

97 Nog Nominal Group

98 Pg Prepositional Group

99 Fiv Finite Verb form

100 Rel Relative word

101 POS Part of Speech

102 PS Production systemc

103 PS Preference Semantics

104 PW Principal word

105 RHS Right Hand Side

106 RL Relation Logique (Logical Relation)

107 RT Root of Transition Network

108 SING Singular

109 SL Source Language

110 TAUM Traduation Automatioqu De l`Universite de Montr`eal

111 TG Transformational Grammar

112 TG Topical glossary ( in SYSTRAN)

113 TL Target Language

114 TR Transformational Rule

115 TS Transformational System

116 UL 0Unite Lexical ( Lexical Unit )

117 VP Verb Phrase

118 WSD Word sense Disambiguation

119 RA Relational Ambiguity

120 RDBMS Relational Database Management System

121 TD Terminology Databank

123 SA Syntactic analyser

124 SA Sema ntic Analyser

125 CA Contextual Analyser

126 CD Contextual Analyser

127 CD Conceptual Dictionary

128 LFG Lexical Functional Grammar

129 SLD Source Language Dictionary

140 TLD Target Language Dictionary

141 STTMT Statistical machine Translation

142 UCSG Universal Clause Structural Grammar

143 UNL Universal Networking Language

144 TT Target Text


145 ST Source Text

LEXICAL AMBIMUITY IN HINDI – MARAHI MACHINE TRANSLATION SYSTEM IN

हिंदी मराठी मशीनी अनुवाद में शाब्दिक अस्पस्टता ( समान उच्चारण वाले शब्दों के संदर्भ में )

LEXICAL AMBIMUITY IN HINDI – MARAHI MACHINE TRANSLATION SYSTEM IN
(IN THE CONTEXT OF HOMONMYS)
Kamble Prakash Abhimannu JNU N.Delhi – 67


प्रस्तावना : -
आधुनिकिकरण् के युग में भारतीय विद्वान यह कभी नहीं भूल सकते की भारत एक बहूभाषिक देश है । बहुभाषिकता की कमस्या को अनुवाद के मध्यम के दूर किया गया लेकिन आई टी के युग में भाषा का मुकाबला मशीन से है । “मशीनी अनुवाद के क्षेत्र में वर्तमान युग में इआश्विक स्तर पर प्रमुख निम्न समस्याऎं हैं । जिनका निहाकरण अभी नहीं हो पाया है । समान अर्थ वाले शब्द , समान उच्चारण वाले भिन्नार्थक शब्द , वाक्यगत द्विअर्थकता , संदर्भ परक द्विअर्थकता , अस्पष्ट पद , संकेत , कहावते , मुहावरे , विकसित नए शब्द आदि । “Homonym” शब्द ग्रीक के homo + onyms इन शब्दों के पूर्वसर्ग और परसर्ग से homonym शब्द बना है । जिसका हिंदी अर्थ “ समान उच्चारण वाले शब्द ” है । समान उच्चारण वाले शब्दों से छोटे बच्चे , सामन्य पाठक , श्रोता आदि के मन में भी समस्याऎं उत्पन्न होती है । मानव अपनी कुशल बुद्धि , पूर्व संदेशोंकी सहायता , शारिरीक गतिविधियों को देखते हुए संदेशों का अर्थ समजता है । यह प्रक्रिया पूर्ण रुप से मानवी मस्तिष्क पर आधारित है , जिसे कोश , वैश्विक ज्ञान एवं भाषिक ज्ञान की सहायता होती है । इस समस्या का निराकरण करने के लिए मशीन को मशीनी भाषा से अवगत कराया जाता है लेकिन यह भाषिक साधन विकसित नहीं हुए है ।
मशीनी अनुवाद की समस्याऒं से मशीनी अनुवाद में Homonyms ( समान उच्चारण वाले शब्दों की समस्या ) गंभीर रुप से सामने आई । समान उच्चारण वाले शब्दों के निराकरण की समस्या विश्व से कई मशीनी अनुवाद यंत्रों को है । मशीनी अनुवाद में वैश्विक स्तर की समस्या पर हिंदी – मराठी मशीनी अनुवाद में यह पहला अनुसंधान होगा ।
मशीनी अनुवाद में वाक्य एवं शब्द की द्विअर्थकता का समाधान करने की प्रक्रिया Word Sense Disambiguter में होती है । जिसे Grammatical Ambiguity एवं Lexical Disambiguity इन दो भागों में देखा जाता हैं । Lexical Disambiguyter शब्दों की प्रयोजनमूलकता, भाषा वैज्ञानिक रुपों एवं व्याकरणिक कोटियों के अनुसार शब्दों को विभाजित करता है । Lexical Ambiguity में दो प्रकार की द्विअर्थकता होती है Polysemy और Homonym. Homonyms से उत्पन्न द्विअर्थकता अधिक कठिनाइयाँ उत्पन्न करती है । Homonyms को निम्न रुप से विभाजित किया किया जाएगा ।

क्र. वर्तनी उच्चारण अर्थ
१. समान वर्तनी समान उच्चारण भिन्न अर्थ
२. समान वर्तनी ( भिन्न व्याकरण ) भिन्न उच्चारण भिन्न अर्थ
३. भिन्न वर्तनी समान उच्चारण भिन्न अर्थ

(नामों में अधिकतार समान उच्चारण वाले भिन्नर्थक शब्दों को देखा जाता हैं )
जैसे : -
क्र. हिंदी व्याकरणिक कोटि मराठी अर्थ
१. पंकज नाम कमळ जलज, कमल क फूल
२. पंकज नाम पंकज लडके का नाम
३. पर कारक पर , परंतू लेकिन , परंतु
४. पर नाम पंख पक्षी
५. कर नाम कर , हाथ कर , हाथ
६. कर क्रिया करणे करना

हिंदी – मरठी में एसे कई शब्द है जिनके उच्चरण , वर्त्नी और् अर्थ समान है जैसे : - साल – वर्ष , साल – फल का छिल्का या पेड की छाल । स्त्रोत भाषा मे आए किसी श्ब्द की लक्ष्य भाषा में
“ समान उच्चारण , कमान वर्तनी , समान अर्थ हो सकता है “ । “समान उच्चरण वाले शब्दों की समस्या स्त्रोत भाषा एवं लक्श्य भाषा दॊनों भाषाऒं में एक ही शब्द के समान उच्चारण वाले दो अर्थ होते है । इन समस्याओं के काहण अनुवादक गलतियाँ करता हैं । यही समस्या मशीनी अनुवाद करेगी । इस शोध में इस समस्या पर भी विचार किया जाएगा ।

व्याकरणिक एवं भाषा वैज्ञानिक नियम : - मशीनी अनुवाद में व्याकरण महत्वपूर्ण होता है । अंग्रेजी भाषा की वाक्य रचना ( कर्ता – कर्म - क्रिया ) इस प्रकार की है । दोनॊं भाषाऒं की वाक्य रचना भिन्न होने के कारण कई व्याकरणिक समस्याएँ उत्पन्न होती है । हिंदी मराठी एक ही भाषा परिवार से होने से हिंदी – मरठी भाषा की वाक्यसंरचना ( कर्ता – कर्म - क्रिया ) समान है । जिसका उपयोग वाक्य के अर्थ को स्पस्ट करने में होग ।
शोध प्रविधि : - शोध की प्रविधि मात्रात्मक एवं गुणात्मक होगी । जिसमें भाषा की व्याकरणिक कोटियों की समानताओं के कारण व्याकरणिक सूत्र परक ( Rule-based ) मशीनी अनुवाद यंत्र के निर्माण में कार्य करना उचित होगा । मात्रात्मक प्रविधि में व्याकरणिक नियमों एवं भाषा वैज्ञानिक रुपों को नियमबद्ध किया जाएगा । इस अनुसंधान में java programming language क उयोग होगा । अनुसंधान के उपयोग के लिए अनुसंधान को Internet कि शायता से अन्य विश्वविद्यालयों , मशीनी अनुवाद यंत्र निर्माण में कार्य कर रहें संस्थानों एवं अनुसंधान कर्ताओं से भी इस विषय पर विचार किया जा सकें । अनुसंधान के लिए मशीनी अनुवाद के अन्य भाषिक साधनों की सहायता ली जाएगी । १.वाक्य विश्लेशक ( Tagger ) 2.शब्द विश्लेशक ( Chunker ) 3.कार्पस( corpus ) ४.कंम्पूटरी कृत कोश ( Computational Dictionary )
अनुसंधान का प्राथमिक उपयोग : - यह अनुसंधान का निम्न मशीनी अनुवाद यंत्रों में उपयोग होगा । १.शब्दबंध हिंदी मरठी आन ( Shabdabandha Hindi to Marathi Online Dictionary ) २.भारतीय भाषा से भारतीय भाषाओं के अनुवाद के लिए ।
भारतीय भाषाओं में मशीनी अनुवाद को मिली इस गति को सफल करने के लिए यह अनुसंधान अवश्य सहायक होगा । प्रस्तवित शोध का अध्याय विभाजन
प्रस्तावना : -
१.मशीनी अनुवाद की समस्याऎं
१.वैश्विक स्तर पर अनुवाद की समस्याऎं
२.भारत में मशीनी अनुवाद की समस्याऎं
२.समान उच्चारण वाले शब्दों से अनुवाद एवं मशीनी अनुवाद में निर्माण होने वाली समस्याऎं
१. मानव द्वार होने वाले अनुवाद एवं मशीनी अनुवाद समान उच्चारण वाले शब्दों की समस्याऎं
२. समान उच्चारण वाले शब्दों के प्रकार एवं व्यकरणीक सूत्र
३.हिंदी मराठी मशीनी अनुवाद समान उच्चारण वाले शब्दों की समस्याओं का भाषिक सूत्र
१.समान लिपी , समान उच्चारण , भिन्नार्थक शब्द
२. समान लिपी , भिन्न उच्चारण , भिन्नार्थक शब्द
३. भिन्न लिपी , समान उच्चारण , भिन्नार्थक शब्द
४. समान उच्चारण वाले शब्दों की समस्याओं का निराकरण कंपूतरी भाषा के रुप में
१. व्याकरणिक एवं भाषा वैज्ञानिक नियम
२.कंम्पूटर प्रोग्रामिंग भाषा
५. उपयोग
१.भारतीय भाषा से भारतीय भाषा के कंम्पूटरी कृत कोश के लिए
२.भारतीय भाषाओं से भारतीय भाषाओं के मशीनी अनुवाद में
उपसंहार

Monday, March 10, 2008

सांस्कृति, संप्रेषण और अनुवाद

दिनांक :- ११/०३/०४
पेपर
नं. ७०४



सांस्कृति, संप्रेषण और अनुवाद

प्रस्तावना : -


संस्कृति और संप्रेषण समाज के महत्व पूर्ण अंग है जिसके बिना कोई भी समाज पूर्ण नहीं हो सकता। संस्कृति समाज की पहचान होती है। " डे फेस्टिवल " की संस्कृति ने भारतीय संस्कृतिक मूल्यों को जड़ से हीला कर रखा दिया । तो दूसरी ओर संप्रेषण साधनों के आविष्कारों ने सजीव संप्रेषक को निर्जीव संप्रेषक में बदल दिया हैं। समाज में संप्रेषकों को भी संस्कृतिक महत्व होता था जिसका अंत हो चूका हैं। मानव का संपूर्ण व्यवहार और आचरन ही उसकी "संस्कृति" है । इन शब्दों में उसकी सभ्यता समाहीत है, लेकिन किसी की असभ्यता भी उसकी "संस्कृति" हो सकती है ।
जैसे हम Teenage Culture, Male Culture, Female culture, working class Culture, Bakers Culture, Culture of City, State, and Culture of Nation के रुप मे देख सकते है।
मानव जाति के संस्कृतिक प्रथाओं एवं मान्यताओं का भाषिक विश्लेषण मानव विज्ञान में अवधारना के रुप मे किया जाता हैं। भाषा का अध्यन बिना उसकी संस्कृति को जाने करना अस्मभव है ।
संदेशों को संकेतो द्वार व्यक्त करने की प्रक्रिया संप्रेषण है।
संस्कृतिक सम्प्रेषण की स्थिति को उदरीकरण पूर्व एवं उदरीकरण के बाद की परस्थिति इन दो भागों में विभाजित कर देख सकते हैं। प्रमुख रुप से हम विचार कर सकते है, कि उदारीकरण पूर्व समाज में रीति-रिवाज, उत्सव, त्योहार, देव–देवता, उपासनाविधि आदि में कुछ बदलाव दिखाई देता, तो कई बार नई धारणाओं का भी जन्म होता था। उदारीकरण और जागतिकरण के पश्चात रहन-सहन, खान-पान, आचार-विचार, काम आदि में मूल रुप से भेद दिखाई देता है लेकिन नई सांकृतिक संकल्पनाओं का निर्माण नहीं हो पा रहा है। भारत जैसे सांस्कृतिक देश में जहां महिनों में नई संस्कृतिका निर्माण होता वहीं आज पाश्चात्य देशों की संस्कृति से प्रभावित हो रहा है। जिससे केवल समाज को ही नहीं बल्कि पर्यावरण पर भी इसका विपरीत परिणाम हो रहा हैं।

"सम्प्रेषण" के लिए भाषा ही सम्प्रेषण का एक मात्र साधन नहीं है, हम शारिरीक चेष्टाओं, मुख मुद्राओं एवं सहज वाचिक उत्तेजनाओं से भी अपने भावों, विचारों को सम्प्रेषित करते है। लेकिन शारिरीक क्रियओं से होने वाले सम्प्रेषण को सम्प्रेषण की भाषा नहीं कह सकते। सम्प्रेषण के लिए यह आवश्यक है कि उत्तेजना के संचरण के द्वार श्रोता में प्रतिक्रिया उत्पन्न हो। सूचना का यथार्थ रुप में संवहन ही सम्प्रेषण है। सम्प्रेषण को प्रमुख दो विभागों में देखा जाता हैं।

१. ध्वनि रहित सम्प्रेषण २. ध्वनि सहित सम्प्रेषण ।

इन दो प्रकारों की समस्याएं भी अलग-अलग हो सकती है । ध्वनि सहित संप्रेषण में मुख्य रुप से मनुष्य के वाचिक संप्रेषण को देख सकते है । ध्वनि रहित संप्रेषण में लिखित रुप को, या शारिरीक क्रियाओं को देख सकते हैं।

संस्कृतिक संप्रेषण में अनुवाद के पक्ष : - संस्कृतिक अवधारना को पूर्ण रुप से समझ ने और संप्रेषित करने के लिए निम्न पक्ष अधिक सहायक होंगे।

१. ईश्वर की संक्लपना

२. कला और नृत्य

३. विवाह, मृत्यु संस्कार और प्रसुति पूर्व एंव बाद के संस्कार (Maternity system)

४. संस्कृतिक अर्थ की समानता ( स्थान के संर्दभ में )

५. सांस्कृतिक ध्वनि

६. राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियाँ

७. विचारधारा

८. सांस्कृतिक उत्सव (कार्यक्रम)

९. अनुवाद की संकल्पना

संस्कृतिक संप्रेषण के लिए समाज एवं पाठ की इन गतिविधियों को ध्यान में रखना आवश्यक होगा। स्थान से तात्पर्य यह है कि संस्कृतिक परिवेश की भौगोलिक परस्थिति।

संस्कृति और संप्रेषण के सेतू : - "भाषा" संस्कृतिक संप्रेषण का सर्वाधिक महत्व पूर्ण साधन है जिसके बिना मानव सफल संप्रेषण ना कर पाता था ना कर पाएगा। एक भाषा दूसरी भाषा से कुछ संस्कृतिक शब्द लेती है, तो कुछ संकृतिक शब्द अन्तरराष्ट्रीय होते है, जिनका अनुवाद करने आवश्यकता नहीं होती । कहावते, मुहावरे, लोकोक्तियाँ भी संस्कृतिक संप्रेषण के स्त्रोत है। समाज में
संस्कृतिक सम्प्रेषण को साहित्य ने सर्वाधिक सहायता प्रदान की है। आज भी सहित्य ही एक ऎसा माध्यम है जिससे संकृतिक मूल्यों का पूरी निष्ठा के साथ आदान-प्रदान होता हैं। फिल्म, व्यवसाय, नाटक, गीत, धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन, आदि को भी संस्कृतिक सम्प्रेषण के साधनों के रुप में देखा जा सकता हैं । लेकिन इन माध्यमों की एक विशिष्ट सीमा होती है। संप्रेषण साधनों के आविष्कारों के कारण आज संप्रेषण साधन पूर्ण रुप से बदल गए है। जहां मानव ने संप्रेषण के साधन के रुप मे कबूतर, आदमी और जानवरों का उयोग किया तो आज मोबाईल, कंपूटर, इंटरनेट, फोन, दूरदर्शन, रेडियो, एफएम आदि का उपयोग किया जा रहा हैं। यह सबसे महत्व पूर्ण और सोचनिय विषय है कि इन माध्यमों से संप्रेषण अधिक गति से होता है लेकिन सांस्कृतिक संप्रेषण प्रभावि रुप से नहीं होता। जिसके कारण संस्कृतियों का महत्व भी कम होता जा रहा है।

संस्कृतिक अनुवाद में संप्रेषण की समस्याएं : - संस्कृतिक समस्याऎं सहित्यिक (लिखित)' मौखिक और व्यवहारीक रुप में आने वाली समस्याऎं होती हैं जिनकी समस्याएं संप्रेषण में भी समान रुप से दखी जा सकती है । जैसे : - किसी एक भाषा में किस वस्तू, रंग, या स्थान को धार्मिक रुप से महत्व होगा यह नहीं समझ सकते । तो कई बार दूसरी भाषा सिखने वाला व्यक्ति आदर सूचक शब्द, लिंग, वचन में मौखिक रुप से उच्चारण में गलतियां करता है। जिससे संप्रेषन की प्रक्रिया मे समस्याऎं निर्माण होती है। संप्रेषण प्रक्रिया का प्रकार भी संप्रेषण सफल करने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें अगर दूविधा उत्पन्न हो जाए तो संप्रेषण में समस्या निर्माण हो सकती है। संकृतियों का सामाज पर आधिक तर परिणाम इस लिए होता है कि संकृति मनुष्य में संवेदना, भाव-भावना निर्माण करने का महत्व पूर्ण कार्य करती है। संप्रेषण प्रक्रिया सफल होने के लिए उत्तेजना के संचरण के द्वार श्रोता में प्रतिक्रिया उत्पन्न होना आवश्यक होता है लेकिन एक संकृति का संवहन उसी रुप में होना संभव नहीं हो पाता एसी परस्तिथि में संप्रेषक को दोष दिया जाता है । विश्वमैत्रि और विश्वबंधूत्व की संकल्पना के कारण दूसरी संस्कृति को जानने के लिए उस परिवेश में रहाना लाभदायक होगा या फिर उस संस्कृति की भाषा या साहित्य को पूर्ण रुप से ज्ञात करना होगा । समाज और संस्कृतियों में हो रहा विकास । अन्य संस्कृतियॊं की रीति –रीवाजों को स्विकार्य - अस्विकार्य की स्थिति भी समाज में निर्माण हो सकती है।


संस्कृतिक अनुवाद में संप्रेषण की समस्याऒं का समाधान : -

उदारीकरण और जागतिकाण पूर्व दो संकृतियों में अधिक असमानताएं होती थी जिसके चलते संप्रेषण में काफी समस्याएं उत्पन्न होती थी। उदारीकरण और जागतिकाण के बाद यह दूरी काफी कम हो चूकि है। इस स्थिति की ओर अनुवादक को विशेष ध्यान देना होगा। सांकृतिक शब्दों, मुहावरों, कहावतों को अधिकतर पाद टिप्पणी के द्वारा स्पष्ट किया जाता हैं। लेकिन कुछ विद्बानों का मानना है कि अगर ऎसे शब्दों की जगह ही स्पष्टिकरण दिया जाए तो पाठक को अधिक सहायता हो सकती है। पाद टिप्पणी के कारण पाठक की पठन प्रक्रिया में अवरोध आकर पाठक की पठन प्रक्रिया की लयात्मकता में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

संप्रेषण के परिमाण (size of communication ) के कारण भी समस्याएं निर्माण होती है। आधुनिक युग की ओर देखा जाए तो संप्रेषण के लिए यह अधिक लाभ दायक होगा की पाठक जिस संस्कृति को अधिक समझता हो, अथवा उसके परिवेश को ध्यान मे रखते हुए संदेश को संप्रेषित करें। इस विधि के कारण संप्रेषक को सूचना ( संदेश ) अधिक प्रभावि रुप से संप्रेषित होगा। सूचना का प्रभाव संप्रेषण शैली अधिक निर्भर होता है इस लिए संप्रेषण शैली पर भी अधिक ध्यान होना चाहिए । इसी के साथ संप्रेषण में सहजता उत्पन्न करना, संस्कृतिक एकरुपता निर्माण करना, दो संस्कृतियों की तुलना कर कर असंदिग्धता दूर करना और पाठ का पुन:निरिक्षण करना आदि से संप्रेषण अधिक सफल होगा ।

उपसंहार : - एक संकृति का दूसरी संस्कृति में संप्रेषण होने से केवल
उस संस्कृति की आलोचना होती है बल्कि उस समाज और संस्कृति का विकास भी होता है। संकृतिक समस्याओं का पूर्ण रुप से समाधान
होना तो कदापी संभव नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए अगर संप्रेषण के अन्य साधनों का अधिक से अधिक विकास किया जाए तो सांकृतिक संप्रेषण अधिक प्रभावि रुप से हो पाएगा। जैसे : - एक साधन "संकेत" है। देशों को संकेतो द्वार व्यक्त करने की प्रक्रिया संप्रेषण है यह संकेत कुछ भी हो
सकते है खाने के लिए संकेत रुप में हम पाचों उगलियाँ एक साथ मिला कर
हाथ को ओठों तक ले जाते हैं। लगभग
अधिकतर भाषाओं में यही संकेत हैं।
विश्वमें कई हजार सांकृतिया हैं लेकिन अनुवाद ही एक एसी कड़ी हो जो समय दूरी और भेदभाव को खतम कर एकता
पैदा कर सकता है। भाषांतरकार और अनुवाद के बंध में यह कह सकते हैं कि जो अनुवाद संप्रेषण परक नहीं हो सकता वह अनुवाद संकृति का वाहक कभी नही हो
सकता।


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संदर्भ
ग्रंथ : -

.Theory and practice of Translation - Dr.Y.C.Bhatnagar

. भाषा विज्ञान - महाविरसरन
जैन ( पेज११६ -११७ )

.अनुवाद कला : सिद्धांत और कला

- कैलाश चन्द्र भाटिया

. अनुवाद क्या है ?

- संपादन - राजमल बोरा

संदर्भ पत्रिका

. समयांतर ( पत्रिका ) अनुवाद

  1. अनुवाद शतक ( page – 313 - 319 )

    Cultures Through Translation Sharad Chandra

  1. Babei Cultural Translation ( page – 3 - 5 ) Diri I.Teilanyo

इंटरनेट वेब साईट : -

. http://www.rennert.com/translations/services_culturalconsult.htm

. http://en.wikipedia.org/wiki/Cross-cultural_communication

. enjamins.com/jbp/series/Target

समय