भारत में मशीनी अनुवाद की आवश्यकता
भारत एक बहुभाषिक देश है। जहाँ कई भाषाऐं एक साथ बोली और समझी जाती हैं। विशेषकर उस स्थिति में जहाँ १६ से अधिक प्रशासनिक भाषाएं हों वहाँ मशीनी अनुवाद यंत्र विकसित करना कम से कम कार्यालयीय भाषाओं के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा। इसी के साथ भारतीय भाषाओं की सीमाओं को तोड़ने के लिए भी मशीनी अनुवाद की आवश्यकता है। जिससे प्राशासनिक कार्य अधिक गति से पूर्ण हो सके।
1.3 म.अनु. में स्रोत भाषा विश्लेषण (The Source Language Analysis) की आवश्यकता।
किसी भी प्रोग्राम (यंत्र) को बनाने के लिए कई भाषाई संसाधनों की आवश्यकता होती है जिनकी सहायता के बीना प्रोग्राम का कार्य पूर्ण नहीं हो सकता। मशीनी अनुवाद के प्रोग्राम को बनाने के लिए प्रा.भा.सं. (NLP) के कई भाषाई संसाधनों का उपयोग करना पड़ता है। यह भाषाई संसाधन निम्न रुप में देखे जा सकते हैं। (A) वाक(Recognition) (B) बोधन प्रक्रिया(Understanding), (C) जनन (Generation) (D) प्राकृतिक भाषा संसाधन की प्रमुख रुपावली (प्रा.भा.सं. Standard Paradigm) (E) प्रोक्ति विश्लेशक (Discourse Analyser) (F) अर्थ विश्लेषक (Semantic Analyser) (G) रुप विश्लेषक (Morphological Analyser) (H) स्रोत भाषा विश्लेषक (The Source Language Analyser), (I) वाक्य विश्लेशक (Syntactic Analyser) (J) लक्ष्य भाषा प्रजनन (Target Language Generation Content Delimitation) (K) अन्वादेशक(Anaphora) (L) वाक्यगत चयन (Syntactic Selection) (M) पाठगत संरचना (Text Structuring) (N) संदर्भगत आदेश (Constituent Ordering) (O) प्रतिफलन (Realization) (P) शब्दकोश चयन (Lexical Selection) । इन भाषिक संसाधनों का उपयोग स्रोत भाषा विश्लेशण के लिए किया जाता है। इन सभी भाषिक संसाधनों के साथ अन्य सहायक संसाधनों की भी आवश्यकता होती है। जिसका निर्माण प्रा.भा.सं. में किए जाने वाले भाषिक अनुसंधानों के बाद हो पाता है, इसलिए म.अनु. के निर्माण में प्रा.भा.सं. की सबसे अधिक आवश्यकता है।
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